Hello all frends ,मैं आपको अपनी कॉमिक्स की यात्रा के बारे मे बताना चाहता हु, जो बाते सिर्फ मैं जानता हूं , मेरे अलावा कोई नही जानता , मैं सभी बाते आपके साथ साझा करना चाहता हु , मैंने अपनी जिंदगी मैं सबसे पहले कॉमिक पढ़ी थी हवलदार बहादुर की जिसका मुझे नाम याद नही है अब, वह कॉमिक मुझे मेरे बचपन के दोस्त और घोस्ट शाहनवाज़ ने दी थी पढ़ने के लिए , जब मेरी उम्र 10 वर्ष थी । वह मुझे बहोत पसंद आई उसके बाद तो सिलसिला शुरू हुआ कॉमिक्स का , हमारे गांव शहजादपुर मैं कॉमिक्स तो मिलती नही थी , तो फिर कॉमिक्स कैसे पढ़ी जाये, एक साल ऐसे ही निकल गया , गर्मियों की छुट्टी आयी , मैं घूमने के लिए शेरकोट गया वहाँ मैंने 2 बच्चे को कॉमिक पढ़ते देखा ,मैने उनसे पूछा भाई यह कॉमिक कहाँ मिलेगी , उन्होंने कहा बाजार मे , मैं पहली बार बाजार गया था शेरकोट के , मेरा सिर घूम गया बाजार देखकर बहुत दुकाने थी वहॉ मुझे कॉमिक की दुकान नही मिली , मैं 1 घंटे तक घूम कर घर आ गया , पर मुझे कॉमिक नही मिली , फिर 1 साल घूम गया गर्मियों की छुट्टी मैं मैं अपनी नानी के बढ़ापुर घूमने गया । नानी ने मुझसे सब्ज़ियां मंगाने बाजार भेजा मैं सब्ज़ी लेने चला गया , मैंने देखा सब्ज़ी की दुकान पे कॉमिक रखी है , फिर क्या मेरी किस्मत ही खुल गयी , जो चीज़ ढूंढने से हाथ नही लग रही थी वो ऐसे ही मिल गयी , मेरा तो मज़ा आ गया , उसके बाद मैं वह पूरे 2 महीने रुका और कॉमिक पढ़ी , और कम से कम 10 कॉमिक चुराई भी जब उन दुकान के पिता होते थे, एक कॉमिक के नीचे एक कॉमिक और रखके ले आता था , बड़ा मजा आता था | अगली गर्मियों की छुट्टी मैं मैं नजीबाबाद अपनी अम्मी की खाला गया । वहाँ भईया ने मुझे 3 कॉमिक पढ़ने के लिए दी , वह 3 कॉमिक मैन बेग मैं रख ली जब मैं घर वापस आ रहा था, तब उन्होंने मुझसे देखने के लिए कॉमिक मांगी पर वापिस नही दी , मुझे बहोत गुस्सा आया पर क्या कर सकते थे ,