.... अब आगे,, खाला के घूम के मैं घर वापस आ गया , मेरा दाखिला अपने गांव से निकल कर दूसरे गांव मे हुआ , वहाँ कुछ दोस्त भी बने, जिनमे से एक कॉमिक पढ़ता था , एक दिन मैंने अपने उस दोस्त से एक कॉमिक के लिए कहा , उसने कहा ठीक है घर पे आकर ले जाना , मैंने कहा भाई मैंने तो आपका घर देखा नही , आप एक काम कीजिये शाम 4 बजे जहाँ पर मेला लगता है वहाँ आ जाना, उसने कहा ठीक है ,( हम दोनों के गांव 1 किलोमीटर की दूरी पे ही है, ), शाम हुई में नही गया, मैं समझा कि वो नही आयेगा । अगले दिन स्कूल मे हम दोनों मिले उसने कहा क्यो नही आया था , मैंने उससे झूट बोला कि मैं तो आया था इंतज़ार करके घर चला गया था । उसने कहा झूट कम बोल मैं 30 मिनट तक वही था,
मैं- तो एक काम कर तू कॉमिक कल को स्कूल मे लेकर आजा ,
दोस्त- ठीक है मैं कल को कॉमिक स्कूल मे लेकर आ जाऊँगा।
फिर अगले दिन वो कॉमिक लेकर स्कूल मे आया ,
मैं- ला भाई कॉमिक दे।
दोस्त- अभी पीरियड चल रहा है , जब लंच होगा तब ले लिये।
पर मुझे कहा इतना सब्र हो रहा था , मुझे तो बिल्कुल अभी कॉमिक चाहिए थी।
मैं- अबे ला अभी दे , इतनी देर तक कोंन सब्र करेगा।
पर यह क्या यह तो सिर्फ कवर था ,
मैं- अबे पूरी कॉमिक कहा है,
दोस्त - कल मम्मी ने बहोत मारा , उन्होंने कॉमिक भी फाड़ दी , बड़ी मुश्किल से ये कवर बचा है।
मैं- ला भाई ये कवर ही दे ,इसपे जो लिखा है वही पढ़ लेते है ।
उस कवर पे नागराज और ड्रैकुला का एड था, बड़ा मजा आया वो ऐड पढ़कर इतना मजा तो आजकल की कॉमिक पढ़ने मैं भी नही आता ।एक साल तक हम दोनों साथ पढ़े उसके बाद हम दोनों अलग स्कूल मे पढ़ने चले गए , कहानी जारी है ,