सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे सन्तु निरामय
आदरणीय भाई साहब श्री भावारामजी एवं आपके
समस्त साथियों एवं परिवार के सदस्यों को जयश्री
अपने
विश्वकर्मा जी एवं हार्दिक शुभकामनाएँ। मैं
यथा स्थान पर सकुशल रहते हुए आपकी उज्ज्वलता
की कामना करता हूँ।
इस पत्र के लिखने के एक दिन पूर्व दि. 16-5-02
को जव रामसीन निवासी श्री हिम्मतमल सुथार के
वहाँ श्री विश्वकर्मा वंशप्रभा प्राप्त हुई तो मेरी खुशी
का ठिकाना नहीं रहा।