Hello friends I am sandeep kumar
and this is my third poem,
घर में पडा है थैला पर सामान पोलीथीन मेंं लाया जा रहा है,
पर्यावरण का संकट सर पे छाया जा रहा है ।
बगीचों को काट कर खेत बनाया जा रहा है ,
जीवन को कम करके अन्न उगाया जा रहा है।
पर्यावरण का संकट सर पे छाया जा रहा है ,
वनों को काट कर कारखाना लगाया जा रहा है।
वृक्षों को नष्ट कर जीवन संकट में लाया जा रहा है,
पर्यावरण का संकट सर पे छाया जा रहा है ।
घर में पडा है थैला पर सामान पोलीथीन मेंं लाया जा रहा है,
सारकार कर रही है जागरुक पर उसे
कर्मो में न लाया जा रहा है,
पर्यावरण का संकट सर पे छाया जा रहा है ।
घर में पडा है थैला पर सामान पोलीथीन मेंं लाया जा रहा है,
इसे खेतोंं में पहुंचा कर मृदा को दूषित बनाया जा रहा है।
घर में पडा है थैला पर सामान पोलीथीन मेंं लाया जा रहा है,
करें सन्दीप विनम्र निवेदन अब तो बस भी करो न यारों।
पर्यावरण को करो सुरक्षित अपना जीवन स्वयं सवाँरो।।
"Sandeep kumar"