हठ कर बैठा चांद एक दिन माता से यह बोला
सिलवा दो मां मुझे ऊनका मोटा एक झिंगोला
सन सन चलती हवा रात भर जाडै से मैं मरता हूं
ठिठुर ठिठुर किसी तरह मैं यात्रा पूरी करता हूं
आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का
नए हो अगर तो ला दो कुर्ता ही कोई भाड़े का