मेरे दादा भोले भाले दादी बड़ी सयानी।
दोनों मिलकर मुझे सुनाते हर दिन नई कहानी।
खेल-खेल में मैं रूठूं और कभी कहीं छुप जाऊँ
परेशान हो जाएं दोनों तब मैं बाहर आऊंँ
मेरे दादा भोले भाले दादी बड़ी सयानी।
दोनों मिलकर मुझे सुनाते हर दिन नई कहानी।
खेल-खेल में मैं रूठूं और कभी कहीं छुप जाऊँ
परेशान हो जाएं दोनों तब मैं बाहर आऊंँ