जादुई पेटी
बहुत समय पहले एक गांव में दो भाई रहते थे । एक का नाम हरि और दूसरे का नाम भोला था। हरि बहुत अमीर और भोला बहुत ही गरीब था।
एक दिन भोला और उसकी पत्नी दोनों भूखे थे और उनके घर में खाने के लिए कुछ भी नहीं था तो भोला अपने अमीर भाई हरि के पास जाता है और खाने के लिए कुछ अनाज मांगता है लेकिन हरि देने से मना कर देता है तो भोला वापस अपने घर की तरफ चल देता है।
वापस लौटते समय भोला ने देखा कि रास्ते पर एक बुजुर्ग व्यक्ति खड़ा था और उसके पास पास भारी सामान था जिसको वो भी उठा सकता था। तो भोला उनके पास जाता है और उस बुजुर्ग से कहता है कि मै आपकी कोई मदद कर दू। तो बुजुर्ग बोलता है हा ज़रूर इस सामान को मेरे घर तक छोड़ दो तो भोला उस समान को उठाता है और बुजुर्ग के साथ उसके घर की तरफ चल देता है।
वहां पर सामान रख कर जब वापस लौटने लगता है तो बुजुर्ग उससे पूछता है कि तुम इतने परेशान क्यों ही तब भोला सारी बातो को बता देता है तब वह बुजुर्ग मुस्कुराते हुए अपने घर के अंदर जाता है और एक पेटी लाकर वह भोला को देता है ।
इसके बाद भोला पूछता है मै इसका क्या करूंगा तब बुजुर्ग उससे बताता है कि ये कोई ऐसी वैसी पेटी नहीं जादुई पेटी है तुम खोलकर जो मांगोगे तुमको सब मिलेगा। भोला बहुत खुश हुआ और वह मुस्कुराया और घर की तरफ चलने लगा तो बुजुर्ग ने कहा कि और हा इसको बंद करना मत भूलना अन्यथा अनर्थ हो जाएगा।
भोला घर पहुंचा तो उसकी पत्नी पूछती है ये क्या है तो भोला उसको कहता है रुको कुछ दिखता हूं और फिर उस पेटी से भोजन की मांग करता है उस पेटी से और तरह तरह के भोजन पेटी से आने लगते है दोनों बहुत खुश होते है और पेट भर खाना खाकर पेटी को बंद कर देते है।
भोला उस पेटी की सहायता से कुछ दिनों में सबसे अमीर इंसान बन गया और फिर ये सब देख कर उसके भाई हरि को रहा नहीं गया उसने इसका राज जानना चाहा तो वह दिन में अपने भाई के घर के बाहर खिड़की के पास खड़े होकर अंदर देखा तो भोला जादुई पेटी से अन्य प्रकार की चीजे मंगा रहा था।
तब हरि उस पेटी को चुराने की योजना बनाता है और रात के समय पेटी को चुरा लेता है। और जब पेटी चुरा के वापस जंगल के तरफ भागता है तो बीच जंगल में अंधेरे की वजह से उसे कुछ दिखाई नहीं दिया और वह एक बहुत बड़ी खाई में गिर जाता है । और वहां से निकलने की कोशिश करता है लेकिन निकल नहीं पाता है। अब उसको प्यास लगती है तो हरि उस पेटी से पानी की मांग करता है और पानी निकलने लगता है लेकिन हरि पेटी को बंद नहीं करता है और चिल्लता है बस और नहीं चाहिए पानी लेकिन कुछ समय में पूरी खाई पानी से भर जाती है और हरि को तैरने आता नहीं था इसलिए हरि को उसके कर्मों की सजा मिल जाती है।
निष्कर्स :- इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कभी चोरी नहीं करनी चाहिए और ना ही दूसरो कि तरक्की से जलना चाहिए।